हफ्ते की ख़बर -२९/०८/२०२०

क्या लिखूं यार!!

हिन्दुस्तान सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने में जुटा हुआ है,यहां के सभी पत्रकार और न्यूज चैनल अपने अपने ढंग से उसकी कहानी सुना रहे हैं,और जनता घर में बैठी ये सब तमाशा मजे से देख रही है।
इसमें किसी की गलती नहीं है,आधी आबादी बेरोजगार है, बची आधी में ज़्यादातर घर से ही काम कर रहे हैं।
देश भर में जगह जगह बाढ़ अाई हुई है, देश की अर्थव्यवस्था उसमें डूब रही है,लोग अपने घरों को छोड़कर जा रहे हैं,महानगरों में पानी भरा हुआ है, और किसी में "आग भी लगी है"। राजनीति जस की तस चल रही है,कुछ अच्छे काम हो रहे हैं, कुछ उसमें टांग भी अड़ा रहे हैं। कहीं दोनों ही तरफ से अनदेखी हो रही है,और किसानों  और गरीबों का नुक़सान तो कॉन्स्टेंट है। बाकी छोटी मोटी खबरों पर कोई ध्यान देता नहीं है तो हम क्या ही बताएं!!
अरे! करोना तो बचा ही हुआ है,ये भी एक नया कॉन्स्टेंट हो रहा है,और इसके इलाज के नाम पर अधिकतर निजी अस्पतालों में धांधली चल ही रही है।अब कोई सबूत मत मांग लेना !!! रोज़ के रोज़ हजारों लोग करोना पॉज़िटिव हो रहे हैं, लोग ठीक भी रहे हैं,ऐसी कोई बहुत घबराने वाली बात नहीं है,खुद सुरक्षित रहिए, मास्क वगैरह पहनिए,बाकी आप सब समझदार हैं।

दुनिया की खबर कुछ यूं है कि अमेरिका ने सीरिया में रूस से आमना सामना कर लिया है और बात अभी कुछ बिगड़ ही रही है। उधर चीन ने भी अभी अपनी नई मिसाइलों का परीक्षण करके सांकेतिक चेतावनी दे दी है, कि दक्षिण चीन सागर में उनके पिताजी का राज है। अब अमेरिका अपने मित्र देशों से इसपर कार्यवाही की बात कर रहा है,बाकी भारत से चीन की जुगलबंदी अलग चल ही रही है  पिछले कुछ समय से।
उधर चीन  के उइगर में वहां की मुस्लिम आबादी पर हो रहे अत्याचारों में नया मामला आया है,खैर उसपर बात करने का कोई फायदा नहीं है। पिछले कई सालों से होता आया है,इसमें कोई  नई बात नहीं है,वो तो बस भारत है जहां हंगामे करने की छूट है। बहरहाल हमें क्या अभी तो हम सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने में व्यस्त हैं। और ठीक ही है, अब इन सब मुद्दों पर बोल कर देश के सेक्युलर और बुद्धिजीवियों की हाय तौबा कौन झेले। अबे छोड़ो!!

तो भईया कुल जमा बात इतनी सी है कि दुनिया में कहीं कोई भी संतुष्ट नहीं है अपनी चीज़ों से, हालांकि एक दम तृप्ति वाला होना भी नहीं चाहिए,पर फिर भी थोड़ा तो इंसान को संतोष होता ही है। जिसके पास जो है वो उसका इस्तेमाल अपनी तरक्की से ज़्यादा दूसरे की बरबादी में कर रहा है। सब अपने हिस्से की कहानी सुना रहे हैं , बरगलाने वाले लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं। लोग बस उतना ही जानना चाहते हैं जितना उनके नेता या गुरु लोग कह रहे हैं,अब उसमें कितना सच है और कितना झूठ, बताने वाला जाने और उसको सुनने वाला खोजे।
एक हॉलीवुड की फिल्म है " बैटमैन: द डार्क नाइट" उसमें जो विलेन का किरदार है  जोकर ,वो मुझे बड़ा पसंद है,उसने बोला था"People do not want the truth, because they don't want their illusions to be destroyed" अर्थात लोग सत्य नहीं जानना चाहते, क्योंकि वह उनके भ्रमों का नाश के देगा । सोचने वाली बात है।
आप सोचिए!!!

जय हिन्द जय भारत!!!

लेखन:- पुनीत तिवारी


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